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जब से मिले हो ऐसा लगा की दुनिया मिल गयी।
तूने देखा तो ऐसा लगा की सारी कली खिल गयी।
तेरा होना चाहता हूँ , तुझमे खोना चाहता हूँ।
मेरी सुबह भी होती है तेरी यादों की तस्वीर से।
हर लम्हा तेरा ख्याल जो आये सवाल पूछूँ मै तकदीर से।
तूने फेरी निगाहें तो ऐसा लगा की सासें सिल गयी।
जब से मिले…
तुझमें सोना चाहता हूँ,दिल में कोना चाहता हूँ।
हाथों में जो तेरा हाथ हो जन्नत का सहारा मिल जाये।
जिन्दगी से अनबन कर लूँ जो तेरा इशारा मिल जाये।
तुम मुस्कुराये तो ऐसा लगा की चरागों को रौशनी मिल गयी।
जब से मिले…
तुझसे कुछ कहना चाहता हूँ,तुझमें रहना चाहता हूँ।
तेरी सांवली सूरत का कुछ ऐसा नजारा है।
की फ़रिश्ते भी देखकर बोले तुझ पर सिर्फ हक़ हमारा है।
तूने छुआ तो ऐसा लगा की लफ़्ज़ों को महफ़िल मिल गयी।
जब से मिले…
तेरे संग जीना चाहता हूँ, तेरे संग मरना चाहता हूँ।………..प्रवीण तिवारी ‘रौनक’
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